Shiv Mandir ke neeche daba Mila bhaudh stoop
शिव मंदिर के गर्भ - गृह के नीचे बौद्ध स्तूप मिला है। यह बौद्ध स्तूप शिव मंदिर के नीचे दबा हुआ था। यह सनसनीखेज मामला आंध्र प्रदेश के गुंटूर से 25 किमी दूर कोंडविडु किले का है। यह किला रेड्डी साम्राज्य द्वारा 13 वीं सदी में स्थापित है। पुरातात्विक सुलझा रहे हैं कि स्तूप के ऊपर शिव मंदिर का निर्माण जान - बूझकर किया गया है या ऐसा अचानक है।
कभी-कभी जीर्णोद्धार भी इतिहास का राज खोल देता है। दरअसल वहाँ शिव मंदिर के पुराने अंशो को विघटित कर नए सिरे से बनाने की योजना थी, तब तक मंदिर के नीचे दबा स्तूप मिल गया। अब योजना यह है कि मंदिर को वहाँ से स्थानांतरित कर स्तूप को संरक्षित किया जाए।
शिव मंदिर के गर्भ - गृह के नीचे दबे यह स्तूप 4.5 फीट ऊँचा है। व्यास कोई 13 फीट है। स्तूप वृत्ताकार है और चूना पत्थर से बना है। स्तूप में 10 लेयर हैं। नीचे का लेयर कमल के फूल की आकृति का है।
स्तूप संग बहुत खूबसूरत मूर्तिकला का पैनेल मिला है। रेलिंग के ध्वंसावशेष मिले हैं। अष्टकोणीय स्तंभ मिला है। ब्राह्मी में लिखा अभिलेख मिला है। अभिलेख में आठ लेटर्स हैं। लेटर्स सातवाहन कालीन हैं। यदि लेटर्स सातवाहन कालीन हैं तो यह स्तूप लगभग 1800 से 2000 साल प्राचीन है। कोंडविडु कभी बौद्ध केंद्र था।
कभी-कभी जीर्णोद्धार भी इतिहास का राज खोल देता है। दरअसल वहाँ शिव मंदिर के पुराने अंशो को विघटित कर नए सिरे से बनाने की योजना थी, तब तक मंदिर के नीचे दबा स्तूप मिल गया। अब योजना यह है कि मंदिर को वहाँ से स्थानांतरित कर स्तूप को संरक्षित किया जाए।
शिव मंदिर के गर्भ - गृह के नीचे दबे यह स्तूप 4.5 फीट ऊँचा है। व्यास कोई 13 फीट है। स्तूप वृत्ताकार है और चूना पत्थर से बना है। स्तूप में 10 लेयर हैं। नीचे का लेयर कमल के फूल की आकृति का है।
स्तूप संग बहुत खूबसूरत मूर्तिकला का पैनेल मिला है। रेलिंग के ध्वंसावशेष मिले हैं। अष्टकोणीय स्तंभ मिला है। ब्राह्मी में लिखा अभिलेख मिला है। अभिलेख में आठ लेटर्स हैं। लेटर्स सातवाहन कालीन हैं। यदि लेटर्स सातवाहन कालीन हैं तो यह स्तूप लगभग 1800 से 2000 साल प्राचीन है। कोंडविडु कभी बौद्ध केंद्र था।
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